भारत छोड़ो आंदोलन
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी जी द्वारा अगस्त 1942 में की गई थी. यह आंदोलन गांधी जी द्वारा चलाए गए आंदोलनों में तीसरा बड़ा आंदोलन था. यह आंदोलन अब तक के सभी आंदोलनों में सबसे अधिक प्रभावी रहा तथा इस आंदोलन से निपटने के लिए अंग्रेजी सरकार को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा. परंतु इसके संचालन में हुई गलतियों के कारण यह आंदोलन जल्दी ही धराशाही हो गया. इस अंदोलन को भारत में एक साथ शुरू नहीं किया गया था और यह यही अहम कारण रहा कि यह आंदोलन जल्दी ही धराशाही हुआ. इस आंदोलन के अंतर्गत भारतीयों को ऐसा लग रहा था कि अब हमें आजादी मिल ही जाएगी. उनकी इसी सोच के कारण आंदोलन कमजोर होना शुरू हो गया और जल्दी ही धराशाई हो गया. लेकिन इस आंदोलन ने ब्रिटिश हुकूमत को यह एहसास करा दिया था कि अब भारत में उनका शासन और नहीं चल सकता उन्हें आज नहीं तो कल भारत छोड़कर जाना ही होगा.
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर
दी गयी.
गांधीजी
के मुख से निकले आखिरी शब्द थे . हे राम, हे राम, हे राम
गाँधी
जी ने अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में अहिंसा और सत्य का मार्ग अपनाया तथा देशवाशियो को
भी इसी मार्ग पर चलने का आग्रह किया.
गाँधी
जी के आदर्श वाक्य : बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो, बुरा मत कहो
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